जीवन की पूँजी

سيف الرحمن التيمي
1444/10/17 - 2023/05/07 12:18PM
जीवन की पूँजी नामक पुस्तक में मेरी लेखन शैली
 

प्रथमः मैंने जीवन के केवल उन्हीं पूंजियों (फ़ज़ाएल -ए- आमाल) का उल्लेख किया है जो क़ुरआन की आयतें अथवा स़ह़ीह़ या ह़सन ह़दीस़ों से प्रमाणित हैं।

यह बात सर्वविदित है कि ह़दीस़ के स़ह़ीह़, ह़सन और ज़ईफ़ होने के संबंध में उलमा के मध्य मतभेद पाया जाता है, क्योंकि सनद (ह़दीस़ के वर्णनकर्ताओं की श्रृंखला) के शोध एवं जाँच पड़ताल की विधियों में मतांतर पाया जाता है, यही कारण है कि कभी-कभी एक ह़दीस़ को उलमा (विद्वान) ह़सन (अच्छा, उत्तम) करार देते हैं जबकि दूसरे आलिम के निकट वह ह़दीस़ ज़ईफ़ (कमज़ोर) होती है, यह कोई अचंभे की बात भी नहीं है, क्योंकि (ह़दीस़ पर हुक्म लगाने के विषय में) उलमा के मध्य मतभेद का पाया जाना सर्वविदित है, हमारे लिए महत्वपूर्ण यह है कि ह़दीस़ों के स़ह़ीह़ अथवा ह़सन होने का हुक्म लगाने वाला आलिम (विद्वान) ऐसा हो जिसकी राय ह़दीस़ के विषय में महत्वपूर्ण मानी जाती हो।

द्वितीयः मैंने जीवन की पूंजी को कुछ बड़े अध्यायों में विभाजित किया है, जिनका विवरण निम्न हैः

1- अल्लाह तआला का नैकट्य। 2- अप्रिय का निवारण। 3- उद्देश्य की प्राप्ति।

इस प्रकार से व्यवस्थित करने का कारण यह है कि मुस्लिम व्यक्ति का परमोद्देश्य सर्वोच्च व सर्वशक्तिमान अल्लाह का नैकट्य प्राप्त करना होता है, तत्पश्चात मकरूह व अप्रिय वस्तुओं का निवारण कर के वह (अपने व्यक्तित्व को) स्वच्छ व शुद्ध करना चाहता है, तथा तज़किया (शुद्धि) के इस चरण को उद्देश्य की प्राप्ति (तह़लिया) पर वरीयता प्राप्त है, इसके अतिरिक्त प्रत्येक अध्याय के अंतर्गत उस विषय से संबंधित विभिन्न खण्ड भी हैं।

तृतीयः प्रत्येक अध्याय के अंतर्गत मैंने जीवन की पूंजी को उनकी प्रधानता के आधार पर व्यवस्थित किया है, वह इस प्रकार से कि यदि आप उन सभों का पालन नहीं कर सकते हों तो क्रमवार (उसका पालन करना) आरंभ करें ताकि महानतम फ़ज़ीलत (प्रधानता) से आप लाभांवित हो सकें।

चतुर्थः मैंने प्रत्येक पूँजी के साथ एक गोल परिधि बना दिया है ताकि उसका पालन करने के पश्चात उसके अंदर चिह्न लगाया जा सके।

पंचमः प्रत्येक अध्याय में मैंने इन मुद्दों का निरंतर उल्लेख किया हैः पूँजी का विषय, उसकी  फ़ज़ीलत (पुण्य व प्रधानता) तथा उसका प्रमाण।

 

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